शासकीय गुण्डाधूर स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कोण्डागाँव में हिंदी और अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया| इस अवसर पर हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक विनय कुमार देवाँगन ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता तथा बहुभाषिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही प्रतिवर्ष 21 फरवरी को इस दिवस का आयोजन करने की घोषणा यूनेस्को द्वारा की गई| मातृभाषा की महत्ता को हम इसी से समझ सकते हैं कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा देने की सिफारिश की गई है |महाविद्यालय के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. किरण नुरुटी ने अपनी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी में उद्बोधन देते हुए कहा कि हमारे जीवन में माँ और मातृभाषा का विशेष योगदान है| व्यक्ति का अस्तित्व ना तो माँ के बिना हो सकता है और ना ही मातृभाषा के बिना| माँ और मातृभाषा ही मिलकर हमें जीवन में मजबूती प्रदान करते हैं| इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक पुरोहित कुमार सोरी ने हल्बी में उद्बोधन देते हुए कहा कि मातृभाषा से एक अलग ही लगाव होता है, अपनत्व, स्नेह, ममत्व और लालित्य होता है| हमें अपनी मातृभाषा में बात करने में किसी प्रकार का संकोच नहीं होना चाहिए| अंग्रेजी विभाग के सहायक प्राध्यापक रूपा सोरी ने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जन्म के बाद मातृभाषा से ही संस्कार और व्यवहार हम प्राप्त करते हैं| इसी भाषा से हम अपनी संस्कृति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते हैं| अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. देवाशीष हालदार ने अपनी मातृभाषा बांग्ला में उद्बोधन देते हुए कहा कि जब व्यक्ति अपनी मातृभाषा को समृद्ध करेगा, तभी देश की सभी भाषाएँ समृद्ध होंगी और देश भी समृद्ध होगा| इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों की ओर से सौम्या सृष्टि दुबे, मंजू वट्टी, गीतेश्वरी देवाँगन ने भी अपनी मातृभाषा में विचार व्यक्त किये| कार्यक्रम का संचालन सिहनु लांबा एवं आभार प्रदर्शन लक्ष्मीदास मानिकपुरी ने किया| कार्यक्रम में खेमसिंह, अशोक, सुशीला, मीना, जुगनतीन, रामेश्वरी, प्रिया, शानू,तुलेश, दीपिका,फगोंती सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे|