शासकीय गुण्डाधूर स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कोण्डागाँव में हिंदी विभाग के द्वारा छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया| इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य पुरोहित कुमार सोरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा हमारी संस्कृति और छत्तीसगढ़ के अस्मिता की पहचान है| लेकिन आजकल देखा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में रहने वाले लोग ही इसकी अस्मिता को भूलते जा रहे है, जबकि अपनी भाषा में बात करना स्वाभिमान की बात है| छत्तीसगढ़ी भाषा में शिक्षण, पठन-पाठन के साथ ही भाषा को बचाया जा सकता है| हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक विनय कुमार देवाँगन ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 28 नवंबर,2007 को छत्तीसगढ़ी राजभाषा विधेयक विधानसभा से पारित हुआ था और आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी भाषा को सम्मिलित करने व छत्तीसगढ़ी के व्यापक प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से ही प्रतिवर्ष 28 नवंबर को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस का आयोजन किया जाता है| इस अवसर पर भाषण, चित्रकला और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया| भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मंजू वट्टी, द्वितीय स्थान कमलेश मरकाम और तृतीय स्थान प्यारीलाल दीवान ने प्राप्त किया |चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर चंद्रिका नेताम, द्वितीय स्थान पर मंजू वट्टी और तृतीय स्थान पर संयुक्त रुप से प्यारीलाल दीवान व हेमबती मरकाम रहे| प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान कमलेश मरकाम, द्वितीय स्थान रश्मि देवाँगन और तृतीय स्थान सुशीला नेताम ने प्राप्त किया| कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सिंहनु लांबा व आभार प्रदर्शन रुपेश सोरी ने किया| इस अवसर पर महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक शशिभूषण कन्नौजे, शोभाराम यादव, रूपा सोरी, डॉ. देवाशीष हालदार, नसीर अहमद, चित्रकिरण पटेल, राधेश्याम नेताम और महाविद्यालयीन हिंदी साहित्य परिषद से सोमनाथ, शिवलाल, मंगलबती, सुमेंद्र, शारदा, पुष्पा, नंदकुमार जैन सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे|